Subconscious Mind Power - An Overview



Discover uncovered, self-doubting contemplating. Experiments have proven that self-doubting or self-limiting feelings have an effect on your power to accomplish very well and realize Everything you may possibly by now be capable of.[3] To put it differently, In case you have learned to doubt on your own, your talents, along with your likelihood of succeeding, then you may be placing oneself up for failure. It is important to understand that considering badly of on your own isn't an precise reflection of who that you are, Although these socially-discovered behaviors and assumed styles begin to come to feel authentic with time.

सुमति का सर दर्द अब और बढ़ता ही जा रहा था. न जाने कितने नयी यादें उसकी आँखों के सामने दौड़ने लगी थी. उसका सर चकरा रहा था. और उस वक़्त उसके हाथों से उसकी साड़ी छुट कर निचे गिर गयी. उसने अपने सर को एक हाथ से पकड़ कर संभालने की कोशिश की. पर सुमति अब खुद को संभाल न सकी और वो बस निचे गिरने ही वाली थी. कि तभी चैतन्य ने दौड़कर उसे सही समय पर पकड़ लिया. सुमति अब चैतन्य की मजबूत बांहों में थी. उसके खुले लम्बे बाल अभी फर्श को छू रहे थे. और सुमति की आँखों के सामने उसके होने वाले पति का चेहरा था. चैतन्य की बड़ी बड़ी आँखें, उसके मोटे डार्क होंठ और हलकी सी दाढ़ी.. सुमति अपने होने वाले पति की बांहों में उसे इतने करीब से देख रही थी. और चैतन्य मुस्कुराते हुए सुमति को बेहद प्यार से सुमति की कमर पर एक हाथ रखे पकडे हुए थे, वहीँ उसका दूसरा हाथ सुमति की पीठ को छू रहा था.

”, कलावती ने सुमति से पूछा. “हाँ माँ! मैं जानती हूँ मुझे क्या चाहिए.”, सुमति ने मुस्कुरा कर जवाब दिया. किसी और क्रॉस-ड्रेसर की तरह, सुमति को भी पता था कि दुल्हन के रूप में वो किस तरह से सजना चाहेंगी. इंडियन लेडीज़ क्लब में तो उसने कितनो के यह सपने सच भी किये थे. ये कितना ख़ुशी भरा दिन होने वाला था सुमति के लिए ! दुल्हन बनेगी वो सोच कर के ही वो बड़ी ख़ुश हो रही थी. और कुछ देर के लिए वो ये भूल गयी कि जब वो दुल्हन बनेगी तो उसके साथ एक आदमी दूल्हा भी बनेगा.

“आई एम सॉरी सुदीप. मैं गलत थी. क्या हम फिर से साथ हो सकते है?

Higher Effects Functions – each and every Every so often a little something comes about that absolutely pierces the bubble of our subconscious mind and results in a powerful window for holistic improve. These situations can are available in the form of apparent crisis (a essential illness, lack of a loved just one, important crisis) or even a blessing (the delivery a different little one, Conference a soul mate), as well as impact of such moments are so profound they connect with forth a totally radical departure from our typical packages and means of becoming.

Most of your respective blouses are obtaining way too restricted in recent times. You improved open up inside of stitches in it to loosen Individuals. I'm not heading to do this for you personally. You mostly come to me within the last second to loosen your blouses. ”

मैंने तनु की बांहों को अपने हाथो से हाथ लगाया. उसकी बांह उसकी ब्लाउज की एक सुन्दर आस्तीन से सजी हुई थी. और फिर मैंने उससे पूछा, “क्या तुम महसूस कर सकती हो कि कैसे तुम्हारी बांहों में ब्लाउज की फिटिंग चुस्त है?

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अपने ही होंठो को कांटना एक पुरुष के रूप में उसे कभी सेक्सी नहीं लगा… पर औरत के रूप में वो बात ही अलग थी. शुक्र था उस घंटी का जिसने उसे अपने ही बदन के जादू से बाहर निकाला.

उनकी सिलाई भी खोलनी है. इस बार तुम खुद खोल लेना सिलाई याद से. नहीं तो आखिरी मौके पर मेरे पास आ जाते हो कि ब्लाउज टाइट हो रहे है.”

“अब थोडा रुको भी इतनी जल्दी करते रहते हो. कम से कम ये तो बता दो कैसा डिजाईन चाहिए तुम्हे?

बहुत संभव है कि मैं उन्हें पहले से जानती हूँ. शायद वो चैताली के माता पिता होंगे. (सुमति की शादी चैताली नाम की लड़की से होने वाली थी. पर इस नए परिवर्तन के बाद चैताली चैतन्य बन चुकी थी.)”, सुमति खुद से बातें करने लगी. सुमति को साड़ी पहन कर शालीनता से चलना पहले से ही आता था. आखिर वो इंडियन लेडीज़ क्लब की फाउंडर थी. उसने न जाने कितने ही आदमियों को सुन्दर औरत बनाया था. इन सबके बाव्जूद, अब वो खुद एक पूरी औरत है, इस बात का उसे यकीन नहीं हो रहा था, और फिर चैताली, उसकी होने वाली पत्नी, अब आदमी बन चुकी थी. किसे यकीन होगा ऐसी बातों का? सुमति अपने कमरे से बाहर आई. उसके सास-ससुर सोफे के बगल में अब तक खड़े खड़े रोहित और चैतन्य से बातें कर रहे थे. सुमति सही थी… उसके सास-ससुर चैताली के ही माता पिता थे. कम से कम ये नहीं बदला. उसने उन्हें देखा और more info तुरंत ही अपने सर को अपने पल्लू से ढंकती हुई उनके पैर छूने के लिए झुक गयी. जैसे कोई भी आदर्श बहु करती. एक तरफ तो सुमति चैतन्य से शादी नहीं करना चाहती थी पर फिर भी उसे बहु बनने में जैसे कोई संकोच न था.

“हाँ. सही कह रही हो तुम. पर तुमने कभी साड़ी या लहंगा चोली की तरह लहराते हुए कपडे लडको पे देखे है?”, मैंने कहा. शायद उसके सवाल का जवाब मैंने कुछ ज्यादा ही जल्दी दे दिया था.

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